१४ मे स्वराज्याचे थोरले युवराज "राजे संभाजी " यांचा जन्म...

हेमलंबीनाम संवत्सरे
शके १५७१
जेष्ठ
शुध्द द्वादशी,
दि
१४ मे १६५६,
गुरुवार,
पुरंदर

स्वराज्याचे थोरले युवराज
"राजे संभाजी " यांचा जन्म.


देश धरमपर मिटनेवाला । शेर शिवा का छावा था
महापराक्रमी परम प्रतापी। एक ही शंभू राजा था
तेज:पुंज तेजस्वी आँखें। निकला गयी पर झुका नही
द्रुष्टीं गयी पर राष्ट्रोन्नती का। दिव्य सपना तो मिटा नही
दोनो पैर कटे शंभु के। ध्येय मार्ग से हटा नही
हाँथ कटे तो क्या हुआ। सत्कर्म तो छूटा नही
जिव्हा काटी खून बहाया । धर्म से सौदा किया नही
शिवाजी का ही बेटा था । गलता राहा पर चला नही
राम-कृष्ण शालिवाहन के। पथासे विचलित हुआ नही
गर्व से हिंदू कहने में। कभी किसी से डरा नही
वर्ष तीनसौ बीत गए अब। शंभु के बलिदान को
कौन जीता कौन हारा। पूछ लो संसार को
कोटी कोटी कंठोमे तेरा । आज गौरव गान है
अमर शंभु तू अमर हो गया। तेरी जयजयकार है
भारत माँ के चरण कमल पर। जीवन पुष्प चढाया था
है दूजा दुनिया में कोई। जैसा शंभु राजा था

................................................... शाहिर योगेश

...भुंगा!